न मंज़िल का पता न रास्ते की खबर ,
न जाने किस राह से शुरू करें सफर ,
काश मिल जाता मेरा हमसफ़र ,
आसां हो जाती जिंदगी की डगर

Hindi Shayri by S Sinha : 111722740

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