कहीं किसी की हर ज़िद पूरी ,
तो कहीं पर ज़रूरत भी अधूरी ;
कहीं-कहीं पर सुगंध भी नहीं ,
तो कहीं पूरा जीवन कस्तूरी ।
आशा सारस्वत

Hindi Shayri by Asha Saraswat : 111721115

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