हमारी रातें, हमारे दिन
हमारी कहानियों के सरल से शब्द,
देश के गौरव के कदम निराले
उठी भुजाओं में तिरंगे प्यारे
गंगा की कलकल ,करुणा लिये जल,
भारत की शीतलता, सरल सी स्वतंत्रता,
युगों की विरासत,ऐतिहासिक ये आदत,
हिमालय की विशालता ,अद्भुत सी हिमाद्रता,
अरण्य में साधुता, मानस में विधाता,
गीत में भारत, वीरता में भरा रक्त,
ज्ञान के कई रंग, महकता ये आंगन,
दिशाओं का उठना,इंसानियत का खिलना,
चिरंजीवी उजाला, देश मेरा निराला,
गंगा की कलकल ,करुणा लिये जल।

**महेश रौतेला
जून २०१७

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111718606

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