दूरियाँ.. दे मिटा
जो भी है.. दरमियाँ
आज कुछ ऐसे..मिल
एक हो.. जाये जान
भर मुझे.. बाहों में
ले डूबा.. चाह में
प्यार कर.. तू बेपनाह
खत्म बेचैन
रातो के
हो सिलसिले
यूँ लगा ले.. मुझे
आज अपने गले
तोड़ हर बंदिशें
आज मुझ में उतर
चल चले अपने घर
हम सफर

Gujarati Shayri by Vaidehi : 111708679

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now