मैं बैठा रहूं तुम सुनाती रहो
मैं लिखा करूं तुम गुनगुनाती रहो
साथ ये हमारा तेरा यार कभी छूटे ना
रब कभी रूठे न
ये प्यार कभी टूटे न
मैं बेहोशी की हालत में खो जाऊं तो
तुम हमेशा मुझे यूं जगाती रहो
गर गजल की कोई नोक आती तुम्हे
तुम मेरे पास यूं बुदबुदाती रहो

Hindi Poem by Anand Tripathi : 111704421

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