बारिश की बूंदों की तराह हो तुम भी..

बरस तो पड़ते हो,,पर बह भी जाते हो।

हा माना कि रुकना फितरत नही तुम्हारी..

तुम्हे समंदर से मिलना जो है...

पर सोचा है कभी उन घाव के बारे में,,

जो निशान तुम छोड़ जाते हो।

-Anil parmar

Hindi Shayri by Anil parmar : 111703985

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