मन की माया
तन की काया
समझा जिसने
कभी न भरमाया
है संसार इच्छाएं जो अनेक
सत्य ज्ञान की खोज है एक
भौतिक दिखता जो है सबको
सत्य रूप माना गया है इसको
अभौतिक है जिसे देखे ये मन
आदि सनातन युग मानुष जन
होगा कुछ अद्भुत भी जगत में किसने जाना
पंच तत्व से बना शरीर सत्य जो सबने माना

-ALOK SHARMA

Hindi Poem by ALOK SHARMA : 111698906

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