रह गयी है कुछ कमी "ज़िंदगी" में,
तो शिकायत क्या है,
इस जहां में सब "अधूरा" है, साहब मुकम्मल क्या
है!

-SMChauhan

Hindi Blog by SMChauhan : 111697466
बिट्टू श्री दार्शनिक 3 years ago

परमात्मा, प्रेम, कोशिश और मौत ! बस यही है जो मुकम्मल है। शर्तें की वे बिना कोई मिलावट के होने चाहिए।

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