अल्फाज़ो के सूनेपन में खो गए थे,
क़लम ने बयाँ करके सुनाई कुछ आहत...
Raahi
दुनियाँ कब साथ छोड़ दे क्या पता?
पर संभाल लेगी हर पल अपनो की चाहत...

- परमार रोहिणी " राही "

Hindi Shayri by Rohiniba Raahi : 111691948

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