My Meaningful Poem...!!!
यारों प्रभु है वो जानता है...
कब, किस को, क्या देना है...
मुक़द्दर लिखने वाले से...
शिकवा या गिला नही करते...
दी हैं जीदगीं उसने तो...
तो गिज़ा भी वही ज़रूर देगा...
एसे ही तो महज़ चंद बीज...
अनगिनत धान के धान नहीं देते...
प्राचीन-अर्वाचीन-समकालीन..
दौर कोई-सा भी हो अन्न वही देता
बारिश 🌧 धूप-छाँव रोशनी...
हर फसल की मावज़त वहीं करता
दरबार उसका चारों प्रहर सजता..
नादान बंदा बात इतनी न समजता
वह जानत है कि कीड़ी को कण...
हाथी मण लागें,ख़्याल वहीं रखता
✍️🥀🌹🌹🌹🙏🌹🌹🌹🥀✍️