तलाश है मुजे किसी ऐसे की जो मुजे मुझको मिलाये ....

इस दोड़भरी जिंदगी में भांग रही हु में ...

इस दौड़ में ही कही खो गईं हु मे ..

तलाश है किसी ऐसे की जो खुद से खुदको मिलाये ।

मुर्गजल सी है ये जिंदगी ..

हकीकत का कोई रूप ही नही ...

तलाश है किसी ऐसे की ....

जो हकीकत से रूबरू करवाये ....

सुबह से होती रात है ....

शाम कही गुम सी हैं ....

तलाश है किसी ऐसे की जो शाम से रूबरू करवाये ।

जी रही हु में जिंदगी मतलब के बीना ....

हंस रही हु में पर कोई अर्थ ही नही ....

तलाश है किसी ऐसे की जो मेरे शब्दों का अर्थ बनके आये ।

मेरी इस व्यर्थ सी जिंदगी का अर्थ बनके समजाये ...

Dr.Divya

Gujarati Shayri by Dr.Divya : 111687181

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