एक आत्महत्या का केस हम सब के सामने आया । वह बेहद दुखद और हमारी-आपकी इस्तेमाई नाकामी है । ऐसे नही के हर घर में यही हालात है । हमने जब दिन ए इस्लाम से मुंह फेरा याने जो हमे अच्छा लग रहा है हम वह हम पर और समुदाय पर लागु कर रहे है । लेकिन जो हमे फिट नही बैठता, हल्के से हम उससे मुंह फेर रहे है ।

मैने कुछ नजदीकी रिश्तों के अंदर यह देखा है के लड़की शादी के बाद महिनों से अपने बाप के घर रह रही है । वजह बहोत से जगहों पर दो खानदानों के अहम का है । बस हम बड़े और वह छोटे इस निय्यतों की वजह से लड़का और ज्यादातर मामलों में लड़की बिना वजह परेशान हो जाते है । जिनमें मियां-बीबी का कुछ कुसूर नही होता है ।

बहोत से लोग आज अच्छे ख़ानदान-अखलाक वाले रिश्ते अपने से गरिब/ ज्यादा मालदार ना होने की वजह से पसंद नही करते । शायद उनकी इज्जत कम हो जाती हो ? यह इज्जत नापने वाली मशीन का इजाद तो होना चाहिए !

एक हमारे मित्र है । ज़िंदगी मे दिन भी है और पैसा भी । याने अच्छा-खासा कमा लेते है । उनका रिश्ता एक जगह तय पा गया लेकिन उन्होंने शर्त यह रखी के शादी धुम-धाम से नही होगी । और बस यही एक कारण से वह रिश्ता टुट गया । लड़की वालों ने पता नही क्या-क्या मतलब निकाल लिए इसके । ऐसा करेंगे तो समाज क्या कहेगा ? हमारी भी इज्जत है और फलां-फलां (तकब्बुर)

बस एक सोंच है जो हमे 1400 साल पहले बताई गई थी । आज हमने उसपर अमल करना छोड़ दिया । उसका सिला यह हुआ के इतना भारी मात्रा में बुराइयाँ हमारे दरमियां खुस गई है । ना इस्लाम के मुताबिक चल रहे ना सही दुनिया के मुताबिक ...

आज तलाक को हमने ऐब के रूप में ले लिया । तलाक नही होना चाहिए लेकिन हुआ तो उन्होंने लड़कीयों को सही रिश्ते नही मिलते । तलाक के मामलों में सबमें ज्यादा तकलीफें लड़कीयाँ उठाती है । बेहद कम मामले मिलेंगे जहाँ लड़को को भी परेशानी उठानी पड़ती है ।

यहाँ हर कोई एक समान सोंच रखने वाला नहीं है । आज-कल थोड़ी सी बातों को लेकर अच्छे रिश्तों का जनाजा निकल जाता है ।

अगर अच्छे अखलाक, आमाल, खानदान और दिन छोड़कर पैसे के पिछे भागा जाएगा तो दुनिया के साथ आख़िरत भी बर्बाद होने का खतरा रहता है ।

पैसा होने के बावजूद लोग दिन ना हो उस घरमें रिश्ते करना बंद कर दे तो कुछ हद तक ऐसे मामलों में कमी हो सकती है । लोग यह नही देखते के उनकी लड़की जो उसे सालों से बडे लगाव से उसे पाला-बड़ा किया है, वह उस घर में पैसा होने के बावजूद वह खुश रह सकेगी या नही ।

शायद कुछ बातें आपको पसंद भी ना आए, उसको आप नजरअंदाज कर दीजीए । बस जो अच्छा लगा और जो मालूमात थी वह आपके सामने रखने की कोशिश की है ।

Hindi Blog by sk hajee : 111669089
Priyan Sri 3 years ago

काश कि लोग इसे पढ़ कर समझें और अपनी जिंदगी में भी उतारें।

JIRARA 3 years ago

You have really expressed the issues faced by certain community, and religion, but similar issues are seen in other communities and religions also, but the domains of problems might be somewhat different. You have described the main aspect with a great sense of understanding and maturity. In my opinion the humanity is going through various fluctuations, and when it will stabilize on the uniform humanitarian grounds, nobody seems to aware or even bothered, much less the politicians.

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