My Meaningful Poem...!!!

न जाने जीदगीं का यह कौन सा दौर हैं

इन्सान ख़ामोश ओर ओनलाईन शोर हैं

जीदगीं की भीड में हर कोई अनजान हैं

पर अनजान से मिलने को ओनलाईन हैं

घरकी दहलीज़ पर तो सब जुदा जुदा हैं

पर ख़्वाबोंकी दहलीज़ पर सब फ़िदा हैं

मर्यादा-ओ-दंभ के नाम उम्र पर तानें हैं

पर उम्र की सीमाएँ ओनलाईन छलाँगें हैं

यारों सच ग़ज़ब हैं इन्टरनेटका चक्रव्यूह

प्रभुजी से ना सरोकार ना नींद की फ़िक्र

सेहत-ओ-ताक़त तो ख़्वाब-सा दिखे हैं

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Hindi Motivational by Rooh   The Spiritual Power : 111667983

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