कुछ है नहीं खोने को
बचा भी कुछ नहीं रोने को
अब एक ही खवाहिश बची है। फिर चले जायेंगे हमेशा के लिये सोने को,

-प्रवीण बसोतिया

Hindi Shayri by प्रवीण बसोतिया : 111665456

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