आई सुनाइ एक कथा
दहेज वा एक प्रथा!

सब मां-बाप की एक ही सपना!
हो बेटी का सुंदर वर घर अपना!!

अपने घर भरने के खातिर
दूसरे के घर उजाड़ना
कैसी ऐ बहादुरी है!!


दिन रात पैसे जोड़े बेटी के पिता
हाय राम ऐ दहेज कितनी भारी
दहेजो ने कितने घर उजाड़ी है!!

काली घटा कुछ इस तरह छाई है
व्यापारी ने मनचाहा बोली लगाई है!
देनदारो ने भी बेटी की चाह में
रकम चुकाई हैं!!

पूछा मैंने कि जब दहेज लेना है पाप
फिर यह शादी क्यों कराई हैं?
सब के मुंह से मिला यही जवाब
यह प्रथा पहले से चली आई है!!

चाहे लड़का से लड़की कितने भी हो सुंदर
शिक्षा में हो उससे भी अंबल
पर दहेज ना मिले शादी में
कहा कुछ भी परहेज है!

दहेज अमीरों के लिए शांन ,गरीबों के शाप बन जाता हैं
लाख बचा ले दामन , कहां गरीब बच पाता है!

बन के लाइलाज बीमारी,हर गरीब का घर उजाड़ जाता है!
दहेज के भूख में इंसान भी हैवान बन जाता है!!

कितने भी पढ़ लो,कितने भी बढ लो
बिहार में दहेज अभी भी जारी हैँ!
ई दहेज बहुत बड़ी बीमारी है!!

-माया

Hindi Poem by Maya : 111664167
shekhar kharadi Idriya 3 years ago

यथार्थ प्रस्तुति एंवम मार्मिक चित्रण

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