कुछ ऐसा ही है हमारा सत्य
शरमाता, सिसकता
फूट-फूट कर रोता हुआ।

कुछ ऐसा ही है हमारा सत्य
हमारे आँसुओं में
घुलता,मिलता, बहता हुआ।

**महेश रौतेला

Hindi Poem by महेश रौतेला : 111663482

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