बसंत की बहार ,डोलें पक्षीगण डार-डार ,
कोकिला की तान देखो परत सुनाई दे | 
मंद,सुगंध ,शुचि शीतल समीर चले ,
तन-मन खेद हरे,अति सुखदाई है | | 
(स्व . श्रीमती दयावती देवी शास्त्री)            

माँ  डॉ. प्रणव भारती 

Hindi Poem by Pranava Bharti : 111661592
shekhar kharadi Idriya 3 years ago

अति सुन्दर...

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