मेरी उम्र की कभी परवाह नही की
गुस्से में आ जाये माँ, तो मुझे थप्पड़ लगा देती थी

जब कभी किसी उलझन की वजह से
मैं परेशान रहने लगता था और
रात में मुझे नींद नही लगती थी

अपने आचंल मे, मेरा सर रखती थी
और मेरे सर पर अपना हाथ फेरते फेरते
ना जाने क्या जादू करती और मुझे सुला देती थी

Hindi Poem by praveen singh : 111660378

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