कुछ सुनहरे पल,
बचपन में थे दोस्तों संग बिताए।
काश कि वह बिता हुआ कल,
फिर से वापस लौट आए।
दोस्तों के साथ रेस लगा,
झट से स्कूल पहुंच जाएं।
प्रेयर की लाईन में लगकर,
अपनी पूरी ताकत से जय हिन्द चिल्लाएं।
होमवर्क पूर्ण न होने पर,
टीचर को नित नवीन बहाने सुनाएं।
स्कूल की छुट्टी होने पर,
अपने दोस्त का हाथ थामें
झट अपने घर की ओर दौड़ लगाएं।
कैसे शब्दों में बांधे दोस्तों संग बिताए लम्हों को
उनके साथ बिताया तो हर एक पल
अपने आप में एक कहानी कहलाए।

-Pragya Chandna

Hindi Poem by Pragya Chandna : 111657176

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now