ढलते ढलते ढल जाए वो जवानी नहीं हूँ मैं 

हर चीज में मिल जाऊँ , वो पानी नहीं हूँ मैं 

लाखों की भीड़ में मैं मैं ही रहूँगा 

आसानी से भूला पाओ वो कहानी नहीं हूँ मैं 

-राज कुमार कांदु

Hindi Shayri by राज कुमार कांदु : 111656324

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