" कोरा कागज़ "

कोरा कागज़ सा यह जीवन , ना रह जाए कुछ तो करें
बड़ों की सीख और अनुभव , संस्कार संपदा कुछ तो भरें
लिखा हो विधि का कुछ भी लेख , भले नहीं टारे न टरे
भरोसा खुद पे हो हमको , भला हम किसी से क्यों डरें
करे हम काम कोई भी , सदा ही हम खरे उतरें
जब उतरें संसार - सागर में , सभी को तारे खुद भी तरें
जीवन हो सरल अपना , न हो कोई भी हमसे परे
प्रेम आपस हो हरदम , हमेशा खुशियां ही बिखरें
जीवन हो एक गुलदस्ता , किसी को कोई ना अखरे
रहें सब कुटुंब के जैसे , घर हों खुशी से हरे - भरे

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Hindi Poem by सुधाकर मिश्र ” सरस ” : 111655749
सुधाकर मिश्र ” सरस ” 3 years ago

धन्यवाद शेखर जी।

shekhar kharadi Idriya 3 years ago

अति सुन्दर ....

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