सब कुछ बिकता है यहाँ
दौलत जैसी ताकत और कहाँ
इंसान और ईमान दोनों बिकते हैं यहाँ
इसके आगे अस्मत का अब मोल कहाँ
पहले सुनते थे लक्ष्मी का है वास जहाँ
सरस्वती नहीं करती निवास वहाँ
आज लक्ष्मी सरस्वती को खरीद
उसे बना सकती है अपना मुरीद
प्रतिभावान ऐसे ही बैठे रह जाते हैं
धन के बल पर मंद बुद्धि आगे हो जाते हैं
कौन सी चीज जो नहीं बिकती यहाँ
दौलत ही दुनिया में सर्वशक्तिमान है
तू ही माता पिता तू ही भगवान है
तुम्हें हमारा शत शत प्रणाम है