भूल जाऊंगी में उनको , कुछ ऐसा कहते थे वो
और सनम खुद ही भूल गए क्यों नजाने मुजको
क्यों , पूछा नहीं क्या किसीने मेरे बारे में आपको
लोग तो कितना पूछते हे आपके बारे में मुजको
चलो हस के बात ही कर लो इतना ये बहोत हे
जी हां मंजूर हे आपके दिए हर सितम मुझको
भूल। जाने की बात आपकी कहा याद रखूंगी में
आपकी बातो, यादों से फुरसद नहीं मिलती मुजकों
चलो वैसे भी बहुत चल चल के थक गई थी "रजनी"
अच्छा हुआ जो चार कंधो पे उठा के ले गए मुजको...
-અંજાન K