हरबार रुक जाते है मेरे कदम,
तेरी तरफ थोड़ा आगे बढकर।
समझ नहीं आया कभी मुझे,
मेरे साथ ही ऐसा क्यू होता है।

क्यू होती है मुझे इतनी बेचैनी,
तुम्हारे पास होते हुए दूर हूं मै।
क्या चाहती है मेरी कायनात,
मिलकर भी अधूरे से है हम।

प्यार मिलकर हुआ था हमको,
फिर भी क्यों पास नहीं है हम।
सच्ची थे वो किए हुए सारे वादे,
फिर क्यों टूटी मिलने की आश।

गुजरना है फिर मुझे आज वही,
जहा कल हमने बिताए थे लम्हे।
होना है हमेशा के लिए मुझे तेरा,
फिर जीना है एक दूसरे के साथ।

लौट आए लम्हे मेरे खुदा इसबार,
में हो जाऊ उसका और वो मेरी।
हरबार रुक जाते है मेरे कदम,
तेरी तरफ थोड़ा आगे बढकर।



Ankit Chaudhary शिव ❤️

Hindi Poem by Ankit Chaudhary શિવ : 111639582

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