" नव वर्ष "
नूतन वर्ष के अभिनंदन में , कुछ नूतनता का सृजन करें
छोड़ पुरातन बातों को हम , कुछ नवीनता का मनन करें
क्यों न तजें उन चर्चाओं को , जो समरसता का हनन करें
क्यों न सहेजें उन रिश्तों को , जो संबंधों का जतन करें
प्रतिकार करें उन बातों का , जो मानवता का पतन करें
शक्ति दें उन भुजदंडों को , जो दानवता का दलन करें
विष घोलते हैं समाज में जो , उन सब दुष्टों का दमन करें
हम मान करें एक - दूजे का , आपस में आवागमन करें
सारी कटुता , सारे विवाद , कुल बुराईयों का हवन करें
स्वागत है नववर्ष तुम्हारा , जनमानस तुमको नमन करें
नए प्रतिमान गढ़ें हम सब , मिलजुलकर देश को चमन करें
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