आज क्रिसमस है जिन्हें हम बचपन से बड़ा दिन के नाम से जानते हैं। गांव में "पुसभत्ता" और शहर में "पिकनिक" की शुरूआत हो जाती है। मैं ग्रामीण भोज्य प्रकार (व्यंजन)ही पिकनिक में यानी लोकल (स्थानीय)कूजिन (खान पान)का भरपूर स्वाद व आनन्द लेने का आह्वान करता हूँ। क्रिसमस पर मैंने शपथ ली है कि स्थानीय भोजन के विविध रूप की जानकारी को वोकल करूँ। यानी "बी वोकल अबाउट लोकल",यदि आप में से जिन्हें भी ऐसे भूल चुके ग्रामीण भोजन के बनाने की विधियां मालूम हो तो नयी पीढ़ी के जिह्वा तक पंहुचै, इस हेतु मेरे पोस्ट के साथ शेयर करें।
अपनी शपथ को मंजिल तक पहुँचाने निकल पड़ा प्रमंडलीय शहर सहरसा के सहरसा कचहरी स्टेशन के उत्तर शिवपुरी ढाला पर जहाँ प्रत्येक मंगल और शनिवार को ग्रामीण हाट बाजर सजता है, कुछ आश्चर्य तो जरूर लगता होगा कि सहरसा शहर में अनगिनत दुकानों के बीच हाट का क्या महत्व है।
पर महत्व बहुत अधिक है क्यों कि गांव के उत्पादों को यहाँ सीधा बाजार और ग्राहक मिल जाते हैं। जहां अच्छा दाम तो मिलता ही है, लोकल को वोकल और ग्लोबल का मार्ग खुलता है। संयोग से आज क्रिसमस,पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी जी की जंयती, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का किसान संवाद और मेरी शपथ "बी वोकल अबाउट लोकल " का दिन। शिवपुरी ग्रामीण हाट में मिल गयी सूखी छोटी मछलियों को बेचती गांव की महिला और खरीदते ग्राहक यही तो लोकल को वोकल बनाने की राह है। इन सूंखटी मछलियों को संग्रह कर दूसरे बड़े शहरों में बिकने भेजी जा सकती है। हमारे क्षेत्र में नवम्बर दिसम्बर जनवरी में फूल गोभी की जबरदस्त पैदावार होती है जो अत्यधिक उत्पादन के कारण सस्ती भी हो जाती है। गांव में महिलाओं द्वारा छोटे छोटे काटकर सुखाकर, नमी के पूर्ण रूपेण सूखने के बाद डिब्बों में बंद कर रखे जाते हैं, इसी सूखे फूल गोभी को वर्षाऋतु में सब्जी बनाकर मजे से खाया जाता है।इसी तरह चने, मटर के फूलने से पूर्व शाक बनाकर खाया जाता है। दूसरे रूप यानी चने मटर के शाक को छोटी छोटी मुठियां बनाकर कलाई अथवा उड़द दाल के बेसन के घोल में डूबोकर सुखाया जाता है। पूर्ण सूखने के बाद डिब्बों में बंद कर रखे जाते हैं। जिन्हें अन्य खरीफ फसल के अवधि में आलू के साथ सब्जी बनाकर स्वाद लेकर खाया जाता है।ऐसे वायप्रोडक्ट को बड़े पैमाने पर सुरक्षित रख डिब्बाबंद कर देश विदेश में बेचा जा सकता है।

Hindi News by Mukteshwar Prasad Singh : 111633277
shekhar kharadi Idriya 3 years ago

बिल्कुल सही कहा " बी वोकल अबाउट लोकल " को प्रोत्साहन देना अति आवश्यक है, तभी तो आम जनता को रोजगारी मिल सकती है, जो स्वयं के यथासंभव प्रयत्न से कुछ कमा सकते हैं अपने परिवार के लिए। तद्द उपरांत स्वदेशी चीज वस्तुओं का स्वाद ही कुछ अलग ही होता है जो भी ग्रामीण जीवन शैली से उत्पादित हो, वो कंदमूल जैसी ओर्गानिक होती है।

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