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मन से लेके संकल्प हमें आगे बढ़ते जाना हैं,
हाथ से हाथ मिलाकर हमें इस देश को आत्म निर्भर बनाना हैं।
परिवर्तन करना होगा जड़ से और इसी तरह कदम आगे बढ़ाना हैं,
स्वनिर्मान की इस नीव के दम पे विकास का वट वृक्ष हमें उगाना हैं।
तकनिकी क्षेत्र में वैज्ञानिकों की उन्नति को नया उजाला देना हैं,
उनकी नई खोजों के बल पर सुरक्षा और संवर्धन को हमें आगे बढ़ाएं जाना हैं।
तबिबी विज्ञान के परीक्षणों से लोगो का स्वास्थ्य बढ़ाना हैं,
तंदुरुस्ती की ताकत से ही देश को हमें समृद्ध भविष्य का तोहफ़ा देना हैं।
अपनी जरूरतों को खुद से पूरा कर सकें इतना सामर्थ्य संजोना हैं,
ख़ुद पे निर्भर होकर दुनिया की सहायता का संकल्प सदैव हमें याद रखना हैं।
देश की सरहदों पर तैनात जवानों के सम्मान को हमें समजना हैं,
नए आविष्कार कर के सीमा पे सैनिकों के बल को हमें समृद्ध करते जाना हैं।
इस महामारी के समय बिना डरे दिशनिर्देशों का पालन करते जाना हैं,
मिल जुलकर ही हमें अपने देश को इस कोरोना के कहर से बचाना हैं।
अपनी परंपराओं को सम्मान देकर उसके उत्थान के प्रण को मन में लिए चलते जाना हैं,
प्राचीन स्थापत्यों का संवर्धन करके इस देश की सुंदरता को हमें बचाए रखना हैं।
“Vocal for local” के नारे को हरदम हमें गुनगुनाए जाना हैं,
श्रम, श्रद्धा और सामर्थ्य के दम पर हमारे देश भारत को हमें आत्म निर्भर बनाना हैं।
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#HindustanKeBaneHaiHum #HCCB #InspiredbyIndia #KrishiManthan #IIMA

Hindi Poem by Meera : 111631286

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