जीवन में कुछ पल ऐसे भी आते हैं जिन्हें हम सहन ही नहीं कर पाते हैं जैसे उसने मेरी इज्जत ही नहीं कि उसने मुझे ऐसा क्यों कहा मैं ऐसा थोड़ी हूं आदि पर इन सब ने एक बात कोमन है कि अपनी भावनाओं को ठेस पहुंचाना और खुद एक बीमारी का शिकार हो जानापर इससे भी बड़ी बात जो है वह यह है कि खुद इन सब में पीछे होते रहना क्योंकि इन बातों को अभी से सोचने से अपने करियर से पीछे होते रहना है और अपने आपको एक ऐसे अंधेरे की और। दखेलना है जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है तो इन सब से बाहर निकलने का आसान रास्ता यह है कि अपने पिंजरे में पड़े रहो और दूसरों की पिंजर में जब ॼाओ तब जरूरत हो उन्हे नहीं मुझे तब दूसरों के पिंजरे में जाना चाहिए और अपने लक्ष्य पर हमेशा नजर रखनी चाहिए क्योंकि जब आंखें कहीं और होती है तो निशाना भी कहीं और ही लगता है मन में गलत विचार आते हैं पर इन विचारों में क्या गलत है और क्या सही है यह देखकर सकारात्मक दिशा की ओर ही आगे बढ़ना है
खुद के लिए जीयो तो
अमर रहोगे
और
दूसरों के लिए जिओगे
तो अजगर रहोगे
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