ख़ाली ख़ाली सी है रातें,
ख़ाली ख़ाली सा है मन..
कुछ सिमटे सिमटे से तुम मुझमे,
कुछ बिखरे बिखरे से हम..
साख साख से लिपटी लतिका से,
यूँ सांसो से जुड़े मुझमें तुम..
किसी मिट्टी में धूमिल होते,
सूखे सूखे से पात हम..
तेरी ही यादों में उलझे से,
कोई अनसुलझी सी बात हम
खाली खाली है ये राते,
कुछ खाली खाली सा है मन..

-Sarita Sharma

Hindi Poem by Sarita Sharma : 111615272

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