My Historical Poem...!!!

हुस्न चाहें ताज का हो
या फिर मुमताज़ का हो

कुछ इमारते कयामत
तक खण्डहर नही होती

कशिश तो मोहब्बत की
हर एक दौरे में जवान होती

पर कोशिश शाहजहाँ की
ता-क़यामत तक जवाँ रहेंगीं

ताज़ जैसी आलीशान याद
बनाने पर भी हाथ काँटे गए

तौहीन शिल्पकारों की कला
कि या पागल शाहजहाँ की

बे-रहम मोहब्बत की दिवानगी
मुआवज़ा हाथों का तारीख़ बनी

अजूबे अजूबा या अजीब दासता
दोहराते आए हर एक हुक्मरान

शायद यही रही अफ़सानों की
कहानियों की हिन्दोस्तान की ज़मीन

अनगिनत देवी-देवताओं की
भिन्न-भिन्न विभिन्नताओ की ज़मीन

अनेकताओं में एकता की ज़मीन
विभिन्न त्योहारों व उल्लास की ज़मीन

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Hindi Motivational by Rooh   The Spiritual Power : 111614561

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