ये चश्मा उतार कर देखो
दुनिया कितनी बदल चुकी है
पुराने जमाने को छोड़ पीछे
नए जमाने में ढल चुकी है
पिंजरे का कैदी बनना
दुनिया अब ये भूल चुकी है
हौंसलें की उड़ानों से
चलना ये अब सीख चुकी है

-Priya Saini

Hindi Poem by Priya Saini : 111613153

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