उड़ते हुए परिंदे भी ठहाके
लगा रहे थे इन्सानों को देखकर

बहोत उड़ रहा था बेवजह।
अब तो सुधर जा ।
अपनी औकात में रहा कर।

-શિતલ માલાણી

Gujarati Microfiction by શિતલ માલાણી : 111612644

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