मंज़िल आनंद है,
तो सफर परमांनद.. !

मंज़िल से ज्यादा सफरसे प्रेम होना चाहिए....! सफर परमानंद है... ! जैसे कोई भक्त की मंज़िल उसके प्रभु के चरण है... मंज़िलकी प्राप्ति ही उसका आनंद है... ! पर भक्ति करना सफर है... भक्ति करते करते उसमे खो जाना ही परमानंद है.... ! मंज़िल पर पहोचने तक सफरका आनंद लो मंज़िल कब आ जाएगी पता ही नहीं चलेगा.... !

Hindi Blog by Ayushiba Jadeja : 111603686

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