My Meaningful Poem..!!!

यारों कुछ इस तरह से
हमारी बातें कम-सी हो गई

“कैसे हो” से शुरू हुई
ओर “ठीक हूँ” पर ख़त्म हो गई

खुलुसियत दिल की जो
हाथ मिलाने में थी ख़्वाब-सी हो गई

दूरबीन-सी दूरी जिस्मों की
ओर लफ़्ज़ों में तो ख़लिश-सी हो गई

शक़-ओ-सूब़ा छींक खाने पे
ओर खाँसी से तों दुश्मनी-सी हों गई

माशाअल्लाह चेहरों पे नक़ाब
की पाबंदी ओर दूरी मजबूरी हो गई

छूता-अछूत बीमारी सुनते थे कभी
आजकल यही लाचारी सरेआम हो गई

सेनीटाईज़ जैसे नाम अस्पतालों में
ही सुनते थे आज वही दिनचर्या हो गई

प्रभु ही जानें कब ख़त्म होगी सज़ा
कोरोनाकी, जो बर्दाश्त से बाहर हो गई

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Hindi Motivational by Rooh   The Spiritual Power : 111602826

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