My Wonderful Poem...!!!
प्रभुजी आपके दिदार का
मुन्तज़िर मेरा किरदार हैं
आपके हर हुक्म को बजा
लाने का ही में तलबगार हूँ
आपके सम्मुख शानसे पेश
आने जैसा ईमानदार ही बनूँ
आपको मुज़ अदना-सी हस्ती
भाए, उस मक़ामका वफ़ादार हूँ
आप ही आप में खो जाऊँ बस
यही तमन्ना का परहेज़गार हूँ
आप ही से वाबस्ता हो मेराज
आप ही से बना में शानदार हूँ
आप ही ने दी रवानी मेरी क़लम
को आप ही का में ज़िक्र-कार हूँ
आप आप आप बस आप ही आप
नज़र हर-सूँ आए इतना वफ़ादार हूँ
आप ही की तवज्जो में बसा रहूँ हर
पल मेरी ज़िंदगी का बस यही मक़सद।
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