#चांद
आज चांद हमारी खिड़की से नज़र आया है,
कोन जाने क्यु पर कुछ रंगीन दिख रहा है।
बुलाया तो था पुनम को उसे, पर
अमावस्या पर वो दिखलाया है ।
आज चांद हमारी खिड़की से नज़र आया है।
कुछ धब्बो को मिटाने को कहा तो रूठा था,
पर आज वो खुद हमें मनाने आया है।
आज चांद हमारी खिड़की से नज़र आया है।
हमने भी बंद रखी थी खिड़की, उससे रूढे जो थे,
पर आज वो खिड़की खोल कर मनाने आया है।
आज चांद हमारी खिड़की से नज़र आया है।
है बड़ा ही गोल वो, बाते भी करता है गोल,
पर आज वो सिर्फ सीधी बात करने आया है।
आज चांद हमारी खिड़की से नज़र आया है।
कहदो जाके कोई उसे हमें यु ना सताये ,
अपनी मोहब्बत का इज़हार कर के हमारे दिल में समाजाये।
आज चांद हमारी खिड़की से हमारे दिल में उतर ने आया है।
Dip@li