उस शक्श से बेहद इश्क़ की फरमाइश कर रहा है,
उनके अल्फ़ाज़ में जाया किए शब्द को चीर रहा है।

महसूस कर के भी उसे रुला कर दर्द को बढ़ा रहा है,
ये अंदरुनी हिस्से में रहे जज्बात को बार बार जला रहा है।

महुब्बत के सिक्वे हजार बने सफ़र ए मंजर के हिस्से में,
किस्से वहीं बने जो इश्क़ में बढ़ाव दे एक दूजे से जोड़ रहा है

ये अहमियत भी कोई नहीं जान सका नरगिस जलन की,
किताबी पन्नो में भी जख्म में कलम और स्याही को आरोप लगा रहा है।

हर दुआ में जिसकी इबादत की उससे सौ दफ़ा दूर ही सही, पर
ये कौनसी बदुआ दे रहा खुदा कागज को उसे हरदम आग लगाकर राख कर रहा है।


DEAR ZINDAGI 💞

Hindi Shayri by Dear Zindagi : 111595058

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