अजीब बात है.....

जिस बात के लिए सपने सजाया करते थे कभी,
आज वही सपने अब सपने में ही अच्छे लगते है?

मंजिल सामने होते हुए भी थक से गए कदम आखिरमे,
कदमों को दोष दे या हौसले को या फिर लकीर को?

जो जिंदादिली सिखाते थे वो अब जिंदगी तलाशते है,
सोख से जी लेने वाले सायद शौक मे क्यूँ रहते हैं?

- "बिनी"

Hindi Questions by Binal Dudhat : 111590929

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