कर सकते हो तो करलो इंतजार रुख़ बदलने का,
ये कोई चीज़ या कपड़ा नही की रोज़ बदला जाए..
क्योंकि ये एक मानसिक बीमारी है जो हर एक ज़हन में शामिल है..

चलो मान लिया कि पहने हुए छोटे कपड़े आपको लुभाये जा रहे है...
पर वो नन्ही सी ज़ान के लिए बुरखा अभी भी बना नही...,

रात के वो अंधेरे में वो चीखें कहि सुनाई नही दी..,
क्योंकि ये एक मानसिक बीमारी है जो हर एक ज़हन में शामिल है

#मानसिक
-दिव्य त्रिवेदी

Hindi Microfiction by Divy : 111589153

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