उन यादों को लिपटकर सोना चाहते थे,
जो मुझसे तेरा नाम हर बार लेती रहती है,

बहोत करीब रहते थे हमारे दिल के तुम,
अब वोह तेरा अधूरा काम पूरा कर रही है,

जाने कोनसा रोग लग गया था इस दिलको,
जो मरहम में सिर्फ तुझे ही मांगा करता है,

पहले तो आजाया करती मरहम बन के तू,
अब वोह काम भी तेरी यादें किया करती है,

हम पहले भी ख्वाबोंमें हस लिया करते थे,
वोह काम भी तेरी यादें ख्यालोमें करती है,

कुछ अधूरे वादे और अधूरे रिश्ते छोड़ गई,
पर तेरी यादें तो बड़ी वफादार निकली है,

सारी तमन्नाओं को कुचलकर चली गई तू,
देख तेरी यादें अब मेरी हमसफ़र बन गई है।


- बिंदीया

Hindi Shayri by બિંદી પંચાલ : 111582906

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