दोहाश्रित सजल
पदांत -आर
मात्रा भार -24

घाव भरें तन के सभी, करें वैद्य उपकार ।
मन के घावों का कठिन, जग में है उपचार।।

प्रभु का आँचल जीव को, देता है सुख चैन।
शरण गहें उनकी सदा, होता है उद्धार।।

नैतिकता कहती यही, मानवता की जीत।
स्वार्थों के बाजार में, उसको लगती मार।।

छल विद्या में निपुण हैं, राजनीति के लोग।
दे आश्वासन मुकरते, छोड़ चलें पतवार।।

जनता के सेवक बने, खाते छप्पन भोग।
सत्ता मिलते ही करें, जनता से तकरार।।

पाप पुण्य सब है यहाँ, लोक और परलोक।
करनी का फल भोगना, इस जग का है सार।।

गीता में श्री कृष्ण ने, दिया जगत को ग्यान।
फल की इच्छा छोड़कर, कर्म करे संसार।।

मनोज कुमार शुक्ल " मनोज "

Hindi Poem by Manoj kumar shukla : 111577466
shekhar kharadi Idriya 4 years ago

बेहतरीन सृजन...

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