यहाँ पर दिल लगाकरके कोई खुश रह नही सकता,
कि झरना कितना भी चाहे वो उल्टा बह नही सकता,
जमाना कुछ भी कहले मुझको,मैं सब सुन सकता हूँ..
मगर तेरी बुराई हो सनम मैं सह नही सकता।।

Hindi Shayri by Shrivek Pathak : 111576614

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