संबंध कोई भी हो वह केवल बाह्य रूप में आपका सहारा बन सकता है, आंतरिक रूप से नहीं।
प्रेम, मित्रता, सगे-संबंधी या अन्य कोई संबंध आपके दुःख को समझने की कोशिश कर सकता है, परन्तु कभी समझ नहीं पाएगा।
पूर्णरूप से तो बिल्कुल भी नहीं।
यह सभी सम्बंध आपको केवल सहारा दे सकते हैं। परन्तु दुःख को कम या बांट नहीं सकते और उस समय तो बिल्कुल भी नहीं जब आपको इन संबंधों की सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
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