#भद्दा
संभल संभल कर चलता जा,
हर मोड़ पर है खड़ा पहरेदार कर्मो का,

हर चौराहे पर चित्रगुप्त सा खड़ा,
कहां छुपाए भेद कोई,
हर नज़र में है कैद कोई।

हर भेद का भेदी कोई,
रावण भी यहां रोया है,
कंस ने भी यहां खोया है।

उसने ही बस, यहां पाया है,
जिसने अच्छे कर्मो का बीज बोया है।
Mahek Parwani

Hindi Poem by Mahek Parwani : 111570925

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