चलो अब ना कुछ कहूं ना सुनू,
बैठे बैठे नजरो की गहराई में गुमु,
जिंदगी की बनी लकीरों को चुमू,
कहीं ना दिखे सफ़र तो हर हद को तोड़ू

Hindi Shayri by Bhavesh_Rajput : 111570872

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