मृत्यु के करीब
-अब उम्मीद छोड़कर जी रहा हूं। एक सत्य जो मुझे लंबे समय से ज्ञात था। वह करीब आना शुरू कर दिया है। मैंने सालों पहले लिखा था मेरी मौत हिर्दय गति रुकने से होंगी अब वर्तमान में मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी है। कितनी समस्या है इस वर्तमान में यह इनदिनों ज्ञात हाे रहा है। मृत्यु के पहले मुबंई के जूहू सिल्वर बिच में उस कोने में बैठना चाहता हूं। उन जगह में कुछ समय और बिताना चाहता हूं, जिसमें मेरा अंतित लंबे समय तक जुड़ा है। एक इच्छा और है की मेरी अस्थीया वही प्रवाहित किया जाए। मुझे वह जगह प्रिय है। एक खूबसूरत प्रेम मैंने उस जगह में महसुस किया है। भले वह वर्तमान में नहीं। इस बात का मुझे बिलकुल भी मलाल नहीं। मैं किसी को दोष नहीं देना चाहता। नियति को कोई ठूकरा नहीं सकता है। मेरी मृत्यु शायद इतने जल्दी नहीं लेकिन हाेगी तो हृदयाघात से। कल रात से सांस लेनी की हाे रहीं। समस्या दाेस्तों को साझा करने के बाद घर वालों को बता चुका हूं। वर्तमान हालात इतने खराब नहीं है।
मैंने अपना खुबसूरत वर्तमान उस दिन ही त्याग डाला जब मैंने पुराना रूम छोड़ने का फैसला लिया था। नए मकान में आने के बाद सारा कुछ भुलने लगा हूं। कैसे सुबह और शाम का जीवन होता है। इस वक्त बार-बार इच्छा हो रही। मुझे अंजली से बात करनी चाहिए। लेकिन एक क्रोध आज भी जीवित है, जो अपनी जगह बिलकुल सहीं है। मैं जल्द ठीक हो जाउंगा यह मुझे मालुम है। थोड़ा समय लगेगा लेकिन पहले के तरह वर्तमान को वही प्यार देना चाहता हूं।
मुझे अपने परिवार से बेहद प्यार है.यह खूबसूरत वर्तमान को जीने की और इच्छा. अब सब नियति पर है.