तन्हा

गुजरना नहीं चाहते उन रास्तों से,
जीन रास्तों से तुम निकलते हो ,
एक नज़र क्या देख लेंगे तुम्हे हम,
फिर तन्हाइयो से लिपट जाएंगे,

खुद को बहोत संभाला है मैने सुनो,
अब ना गवारा है तन्हा रहेना मुझे,
टूट के बिखर गया था कभी कभी,
आंसू के सैलाब से तैरना सीखा हूं,

ना चाहते हुए भी ये हाथ दुआ मांगे,
तेरे सुकून के लिए हरबार खुशी मांगे,
क्या दू में बददुआ तुझे ऐ पत्थर दिल,
तेरी ख़ुशी ही मेरे जीने की वजह मांगे,

कर रहे है दुआ अपने जीने के वास्ते,
तू खुश रहे, आबाद रहे, मेरी जिंदगी,
नहीं गुजरना उन गलियों से अब मुझे,
तेरी यादें फिर से तोड़ देंगी देखना मुझे,

बिंदी पांचाल "बिंदीया"
वडोदरा

Hindi Poem by બિંદી પંચાલ : 111563311

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now