खेदका जन्म है इसारा,
नई राह या दिशा को चुनने का -
मंज़िल पर पहोचनेसे पहले।

इशारों को समझ लो,
खेद है?
तो रास्ता बदलके देख ही लो..
मंज़िल से विच्छेद क्यों?

~|~ केतन व्यास
#खेद

Hindi Shayri by Ketan Vyas : 111563306

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