कभी सोचा ना था कि ऐसा भी शिक्षक दिवस आयेगा
जिसे एक टीचर घर बैठकर बनायेगा,
ना बच्चे पास होंगे ना कोई शोर मचायेगा,
न क्लासरूम होंगे ना कोई कुछ पढ़ायेगा,
ये स्कूल ये क्लाससे सब कुछ सुनसान पड़ा रह जायेगा,
ना बच्चों की मस्ती होगी ना टीचर डांट लगायेगा,
ना कोई प्रेयर होगी ना कोई अनुशासन सिखायेगा,
ना कोई शिक्षा होगी ना कोई संस्कार सिखायेगा,
ना बच्चे होंगे ना ही कोई अटेंडेंस लगवायेगा,
ना लंच होगा ना कोई बेल बजायेगा,
ना कोई शिकायत होगी ना कोई मुस्कुरायेगा,
ना कोई पढ़ेगा ना कोई पढ़ायेगा,
कभी सोचा ना था कि ऐसा भी शिक्षक दिवस आयेगा।
इस अधूरे शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏💐💐
- साक्षी जैन

Hindi Poem by Sakshi jain : 111561936

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