मैंने मैं को श्मशान में राख होते देखा है।
मैंने अहं को जमीं में ख़ाक होते देखा है।।

तुमसे पहले भी था शहंशाह कोई यहां,
मैंने सिकंदर को ख़ाक होते देखा है।

दिल में शोले दबाएं सब चलते है यहां,
मैंने पल में शोलो को आग होते देखा है।

ईमान बेचकर जो कमाया पैसा यहां,
मैंने पल में सोना लाख होते देखा है।

माना कि ऊंचा है मगर आसमां नहीं है,
मैंने आसमां को पाख खोते देखा है।

ये तमाशा शोहरत का कल से ना होगा
मैंने खुदा को भी यहां साख खोते देखा है

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Hindi Shayri by Vasu Bapu : 111556952

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